भारत-सिंगापुर टैक्स ट्रीटी: भारत में म्यूचुअल फंड कैपिटल गेन पर टैक्स में मिलेगी छूट

New Delhi: एनआरआई निवेशकों के लिए ख़ुशख़बरी है कि अब से भारतीय आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री से उत्पन्न 1.35 करोड़ रुपये के शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन पर उन्हें भारत में कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। भारत-सिंगापुर कर संधि के तहत यह निर्णय लिया गया है। सीएनके एंड एसोसिएट्स के टैक्स पार्टनर गौतम नायक ने कहा, “यह फैसला भारत-सिंगापुर कर संधि का एक महत्वपूर्ण पहलू उजागर करता है, जिसके बारे में कई एनआरआई निवेशक नहीं जानते। इस कर संधि के अनुसार, म्यूचुअल फंड यूनिट्स (mutual fund units) की बिक्री से उत्पन्न कैपिटल गेन केवल निवेशक के निवास देश में कर योग्य हैं, भारत में कर योग्य नहीं (tax exemption for NRIs)हैं।।”

लाभ केवल विक्रेता के निवास देश में कर योग्य
नायक ने यह भी बताया कि इस प्रकार के लाभ अन्य देशों के साथ कर संधियों में भी लागू होते हैं, जिनमें यूएई, मॉरीशस, नीदरलैंड्स, स्पेन और पुर्तगाल जैसे देशों की संधियों में भी यही प्रावधान है। इन देशों के साथ कर संधियों में, अन्य संपत्तियों को छोड़कर, जैसे अचल संपत्ति और कंपनी के शेयरों को, ‘रिज़िड्यूल क्लॉज़’ के तहत कर योग्य माना जाता है, और इनसे होने वाला लाभ केवल विक्रेता के निवास देश में कर योग्य होता है।

ये लाभ केवल उनके निवास देश (सिंगापुर) में कर योग्य होंगे
ध्यान रहे कि इस मामले में, सिंगापुर निवासी ए शाह ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान डेब्ट म्यूचुअल फंड्स से 88.75 लाख रुपये और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से 46.91 लाख रुपये के कैपिटल गेन की घोषणा की थी। उन्होंने अपने आयकर रिटर्न में इन कैपिटल गेंस को कर संधि के रिज़िड्यूल क्लॉज़ के तहत छूट के रूप में दावा किया, जिसमें यह प्रावधान है कि ये लाभ केवल उनके निवास देश (सिंगापुर) में कर योग्य होंगे।

हालांकि, आयकर अधिकारी ने इस दावे को खारिज कर दिया और इन कैपिटल गेन्स पर यह तर्क देते हुए कर लगाया कि म्यूचुअल फंड यूनिट्स भारतीय संपत्तियों से महत्वपूर्ण मूल्य प्राप्त करते हैं, और इसलिए भारत में कर लगाया जाएगा। यह मामला आईटीएटी तक पहुंचा, जहां शाह ने यह तर्क दिया कि म्यूचुअल फंड यूनिट्स ‘शेयर’ के रूप में योग्य नहीं होते और इन्हें आयकर अधिनियम और कर संधि के प्रावधानों के तहत कर योग्य नहीं माना जा सकता।

आईटीएटी ने पहले के फैसलों का हवाला देते हुए निर्णय लिया कि म्यूचुअल फंड यूनिट्स ट्रस्ट जारी करता है, इसे कंपनियां जारी नहीं करती, इसलिए इन्हें ‘शेयर’नहीं माना जा सकता। न्यायाधिकरण ने अंततः यह फैसला लिया कि रिज़िड्यूल क्लॉज़ लागू होगा और म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री से उत्पन्न लाभ केवल सिंगापुर में कर योग्य होंगे। बहरहाल इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि भारत-सिंगापुर कर संधि का लाभ एनआरआई निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते समय कर भार को कम करने में मददगार हो सकता है।

By MFNews

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